Sajjanta Ka Dand

Munshi Premchand

Sajjanta Ka Dand - Delhi Vishva Vijay Books p2009 - 160 Pages Paperback

सज्जनता का दंड

कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन प्रसिद्ध एवं विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीरगरीब, स्त्रीपुरुष, बच्चेबूढ़े, ज़मीन्दारकिसान, साहूकारकर्ज़दार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है.

यही कारन है की प्रेमचंद की कहानियां हिंदी भाषी क्षेत्रो में ही नहीं, सम्पूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी तथा सराही जाती है.

इतना ही नहीं विदेशी भाषाओँ में भी उन की चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं.

इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है समाज और शासनतंत्र में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करती कहानियों का संग्रह – ‘सज्जनता का दंड’. सरकारी तंत्र में व्याप्त रिश्वत या नजराना ‘विषम समस्या’ के इमानदार चपरासी गरीब को भी फ़र्ज़ के प्रति बेईमान बना देती है| वही सरदार शिव सिंह जैसा ईमानदार इंजिनियर है जो इस कुचक्र में नहीं फंसता. उस की ईमानदारी के इनाम स्वरुप उसका तबादला दूरदराज़ के इलाके में हो जाता है और रुपयों के अभाव में उसे बेटी का विवाह टूट जाने जैसे दंश भी झेलने पड़ते हैं.

ऐसी ही अनेक समासों को उजागर करता उत्कृष्ट कहानी संग्रह जिसे आप अवश्य पढना चाहेंगे.


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